Posts

Showing posts from February, 2022

यमुनोत्री धाम मंदिर

Image
  पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में महर्षि असित का आश्रम यमुनोत्री में स्थित था। उनका नित्य यह नियम था कि वह प्रत्येक दिन प्रातः कल स्नान के लिए गंगोत्री जाते थे। लेकिन धीरे-धीरे वृद्धावस्था के कारण उनके लिए गंगोत्री के मार्ग के दुर्गम पर्वतों को पार करना मुश्किल हो गया तब मां गंगा ने अपना एक छोटा सा झरना असित ऋषि के आश्रम में प्रकट कर दिया। यह झरना आज भी वहां मौजूद है। कहते हैं कि गंगा तथा यमुना की जलधाराएं एक हो गई होती, यदि दोनों के बीच में दंड पर्वत न होता। जब श्री हनुमान ने बुझाई पूँछ की आग | Lord Hanuman Story Related To Yamunotri पौराणिक कथा के अनुसार जब त्रेतायुग में रावण ने माता सीता का हरण किया तथा हनुमान उन्हें ढूंढते हुए लंका पहुंचे तो रावण ने हनुमान जी की पूँछ में आग लगवा दी थी, लेकिन श्री हनुमान ने अपनी पूँछ में लगी आग से संपूर्ण सोने की लंका को जलाकर ख़ाक कर दिया था। तब लंका को जलाने के पश्चात भगवान हनुमान अपनी पूँछ की आग बुझाने के लिए यहां आये तथा यमुना के शीतल जल से अपनी पूँछ में लगी आग बुझाई। यही कारण है कि जिस पहाड़ी पर श्री हनुमान ने अपनी पूँछ की आग बुझाई थी...

गंगोत्री धाम पौराणिक कथा

Image
  उत्तराखंड के उत्तरकाशी (Uttarkashi) जिले मे स्थित गंगोत्री एक लोकप्रिय धार्मिक  स्थल है। यह  धार्मिक स्थल समुद्र तल से 3750  मीटर की ऊंचाई  पर स्थित है।  चार धाम (CharDham)और दो धाम दोनों तीर्थयात्रा  के लिये यह स्थान पवित्र माना  गया है।  गंगोत्री को गंगा का  उद्धगम स्थल कहते है।  गंगा नदी अपने उद्धगम स्थल पर भागीरथी नाम से प्रसिद्ध है। गंगोत्री अपने प्राचीन मंदिरो और प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के लिए पूरे भारत मे मशहूर है।  गंगोत्री मंदिर का निर्माण गोरखा के राजा  अमर सिंह थापा के द्वारा 18 वी सदी मे करवाया गया था।   पौराणिक   कथा (Mythology) गंगोत्री (Gangotri)से जुड़ी यह एक पौराणिक कथा है ,माना जाता है कि देवी गंगा ने राजा भागीरथी और उनके पूर्वजों के पापो को धोने के लिए भगवान शिव के जटाओ से होकर इसी स्थल पर धरती को स्पर्श किया था। यहाँ  पर देवी गंगा की पूजा करने के लिए  बड़ी संख्या मे हर साल लाखों के संख्या मे श्रद्धालु  आते है। चार धामों मे से गंगोत्री (Gangotri)भी एक पवित्र धाम है। यह स्थल अति र...

जगन्नाथ मंदिर का पौराणिक इतिहास- कथा

Image
      मंदिर का इतिहास : इस मंदिर का सबसे पहला प्रमाण महाभारत के वनपर्व में मिलता है। कहा जाता है कि सबसे पहले सबर आदिवासी विश्‍ववसु ने नीलमाधव के रूप में इनकी पूजा की थी। आज भी पुरी के मंदिरों में कई सेवक हैं जिन्हें दैतापति के नाम से जाना जाता है।     राजा इंद्रदयुम्न ने बनवाया था यहां मंदिर :  राजा इंद्रदयुम्न मालवा का राजा था जिनके पिता का नाम भारत और माता सुमति था। राजा इंद्रदयुम्न को सपने में हुए थे जगन्नाथ के दर्शन। कई ग्रंथों में राजा इंद्रदयुम्न और उनके यज्ञ के बारे में विस्तार से लिखा है। उन्होंने यहां कई विशाल यज्ञ किए और एक सरोवर बनवाया। एक रात भगवान विष्णु ने उनको सपने में दर्शन दिए और कहा नीलांचल पर्वत की एक गुफा में मेरी एक मूर्ति है उसे नीलमाधव कहते हैं। ‍तुम एक मंदिर बनवाकर उसमें मेरी यह मूर्ति स्थापित कर दो। राजा ने अपने सेवकों को नीलांचल पर्वत की खोज में भेजा। उसमें से एक था ब्राह्मण विद्यापति।     विद्यापति ने सुन रखा था कि सबर कबीले के लोग नीलमाधव की पूजा करते हैं और उन्होंने अपने देवता की इस मूर्ति को नीलांचल पर्वत की गुफा में...

द्वारिकाधीश मंदिर

Image
9754263980 द्वारकाधीश मंदिर गुजरात के द्वारका शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। इसे जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के वर्णन अनुसार श्रीकृष्ण मथुरा छोड़कर द्वारका आए तथा यहां द्वारकानगरी बसायी। यह हिन्दूओं के प्रसिद्ध चार धामों में से एक है। साथ ही इसका वर्णन हिन्दूओं के प्रसिद्ध सप्तपुरियों के तौर पर भी किया गया है। इसे मोक्ष का धाम कहा जाता है क्योंकि जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति पाने के लिए लोग चार धाम की जो यात्रा करते हैं, उसका एक अहम पड़ाव यह मंदिर है।                                                                          द्वारकाधीश मंदिर से जुड़ी एक कहानी (Story of Dwarkadhish temple) एक पौराणिक कथा के अनुसार वर्षों पहले यहां रैवत नाम के एक राजा ने यज्ञ किया था। तब से इस स्थान को कुशस्थली कहा जाने लगा। कुछ समय बाद यहां कुश नामक राक्षसों का आगमन हुआ, जिन्होंन...