यमुनोत्री धाम मंदिर
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में महर्षि असित का आश्रम यमुनोत्री में स्थित था। उनका नित्य यह नियम था कि वह प्रत्येक दिन प्रातः कल स्नान के लिए गंगोत्री जाते थे। लेकिन धीरे-धीरे वृद्धावस्था के कारण उनके लिए गंगोत्री के मार्ग के दुर्गम पर्वतों को पार करना मुश्किल हो गया तब मां गंगा ने अपना एक छोटा सा झरना असित ऋषि के आश्रम में प्रकट कर दिया। यह झरना आज भी वहां मौजूद है। कहते हैं कि गंगा तथा यमुना की जलधाराएं एक हो गई होती, यदि दोनों के बीच में दंड पर्वत न होता। जब श्री हनुमान ने बुझाई पूँछ की आग | Lord Hanuman Story Related To Yamunotri पौराणिक कथा के अनुसार जब त्रेतायुग में रावण ने माता सीता का हरण किया तथा हनुमान उन्हें ढूंढते हुए लंका पहुंचे तो रावण ने हनुमान जी की पूँछ में आग लगवा दी थी, लेकिन श्री हनुमान ने अपनी पूँछ में लगी आग से संपूर्ण सोने की लंका को जलाकर ख़ाक कर दिया था। तब लंका को जलाने के पश्चात भगवान हनुमान अपनी पूँछ की आग बुझाने के लिए यहां आये तथा यमुना के शीतल जल से अपनी पूँछ में लगी आग बुझाई। यही कारण है कि जिस पहाड़ी पर श्री हनुमान ने अपनी पूँछ की आग बुझाई थी...